13 दिसम्बर 2011
छपरा| बिहार के छपरा जिले के गलिमापुर के तरैया गांव की रहने वाली एक युवती ने सोशल नेटवर्किं ग साइट फेसबुक के जरिये अपने लिए विदेशी दूल्हा चुना। इस दूल्हा-दुलहन के मिलन के तरीके को देखकर लोग हैरान और अचम्भित हैं। समीना सात समंदर पार बैठे गाउड मारलैंड को अपना दिल दे बैठी थी और फिर दोनों ने एक-दूजे को अपना जीवनसाथी चुनने का निर्णय लिया।
ब्रिटेन के मैनचेस्टर के रहने वाले मारलैंड और तरैया गांव के रहने वाले साबिर हुसैन की पुत्री समीना का निकाह सामाजिक रीति-रिवाज के साथ रविवार को सम्पन्न हुआ। इस रिश्ते को सामाजिक मान्यता भी मिल गई। इस विवाह से समीना के पिता हुसैन भी काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, "रिश्ते अल्लाह बनाता है, फिर चाहे वह देश में बने या विदेश में।"
समीना के छोटे भाई मोस्तकीम ने कहा, "दुनिया काफी बड़ी है और हमारे रिश्ते बढ़ें तो इसमें हर्ज क्या है। शुरू में निकाह को लेकर परिजन नाराज थे, लेकिन धीरे-धीरे सभी इसके लिए तैयार हो गए। निकाह हो गया है और मंगलवार को प्रीतिभोज का आयोजन होगा। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन मैनचेस्टर के लिए रवाना हो जाएंगे।"
इस मौके पर दुल्हन समीना ने कहा, "फेसबुक पर मित्र बनाने की प्रक्रिया में मेरी दोस्ती मारलैंड से हो गई। धीरे-धीरे फेसबुक के ही जरिये ही बातचीत शुरू हुई। सिलसिला आगे बढ़कर पसंद और नापसंद तक जा पहुंचा। इसके बाद न जाने कब हम एक-दूसरे को दिल दे बैठे और उसकी परिणति अब सबके सामने निकाह के रूप में है।"
बेंगलुरू में शिक्षक के रूप में कार्य कर रही समीना ने कहा, "यह विवाह कहीं भी किया जा सकता था, लेकिन यहां की माटी की खुशबू और सामाजिक दायित्व के कारण निकाह गांव में ही किया गया। हम 18 महीने से एक-दूसरे के सम्पर्क में थे और शायद यह निकाह अल्लाह की मर्जी थी।"
गांव वाले भी इस रिश्ते को लेकर काफी उत्साहित हैं। इस मुबारक रस्म में शामिल होने के लिए पहुंचे ग्रामीण विदेशी दूल्हे से बात करने को उतावले जरूर दिखे, लेकिन अंग्रेजी में बात करने वाला दूल्हा भोजपुरी और हिंदी भाषा नहीं समझ सका, जिस कारण समीना को ही ग्रामीणों को जवाब देना पड़ा।
भले ही इस निकाह में सिर्फ तरैया गांव के लोग शामिल हुए हों, लेकिन इसकी चर्चा कई गांवों में है और लोग बड़ी उत्सुकता के साथ विदेशी दूल्हे को निहार रहे थे।
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